एडजुडिकेशन प्रोसीडिंग में, आरोप को विभाग द्वारा साबित किया जाना होता है, जबकि प्रॉसिक्यूशन प्रोसीडिंग में, बेगुनाही को अभियुक्त द्वारा साबित किया जाना है।

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एडजुडिकेशन प्रोसीडिंग में, आरोप को विभाग द्वारा साबित किया जाना होता है, जबकि प्रॉसिक्यूशन प्रोसीडिंग में, बेगुनाही को अभियुक्त द्वारा साबित किया जाना है।
Mar, 2023
By Vikash Dhanania

 

नमस्कार ! 

आज व्हाट्सप्प करने के बाद काफी कॉल आये जिसमे यह पूछा गया की आसान लफ्जों में "Preponderance of Probability" और "Mens Rea with Guilty Mind" के बीच के फर्क को समझाया जाये।  इसलिए यह पोस्ट है।  

"Preponderance of Probability" का मतलब है कि डिपार्टमेंट संभावना की प्रबलता के आधार पर आरोप लगाता है और डिपार्टमेंट को यह प्रमाणित करना होता है की टैक्स का शार्ट / नो पेमेंट या इनपुट का एक्सेस / रॉंग क्लेम का आधार  जानबूझ कर की गई कर चोरी थी। इसी प्रिंसिपल पर असेसमेंट, ऑडिट डिपार्टमेंट द्वारा की जाती है।  

वही "Mens Rea with Guilty Mind" का मतलब है सोच समझकर प्लानिंग करके टैक्स की चोरी की गयी और शख्स को पता था कि पकड़े जाने पर उसका अंजाम क्या होगा।  इन्वेस्टीगेशन जहाँ की प्रॉसिक्यूशन की प्रक्रिया शुरू होती है, जैसे की फेक इनवॉइस के मामले में, वहां आरोपी को संदेह से परे यह साबित करना होगा कि दोषी मन के साथ कोई मनःस्थिति नहीं थी।

प्रॉसिक्यूशन की प्रोसीडिंग एडजुडिकेशन प्रोसीडिंग से अलग प्रोसीडिंग है और साथ साथ चल सकती है। 

एविडेंस दोनों मामले में लगभग एक जैसे होते है।  लेकिन एप्रोच के आधार पर ड्राफ्टिंग होती है, रिप्रजेंटेशन होता है, जजमेंट का रिफरेन्स दिया जाता है। 

इसलिए कहा की अब आज का और आने वाला दौर भी "सुपर स्पेशलिटी कंसल्टेंसी" का है।  

टीम जीएसटी दोस्त