नैचरल जस्टिस के सिद्धांतों का पालन जरूरी, मुकदमेबाजी से बचने के लिए : इलाहाबाद हाई कोर्ट

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नैचरल जस्टिस के सिद्धांतों का पालन जरूरी, मुकदमेबाजी से बचने के लिए : इलाहाबाद हाई कोर्ट
Mar, 2022
By Vikash Dhanania

 

इलाहाबाद हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने नन्हे मॉल मुन्ना लाल  के मामले में कहा है कि प्री-शो कॉज नोटिस का लक्ष्य कानूनी मामलों की संख्या में कमी लाना है और डिपार्टमेंट को नैचरल जस्टिस यानी प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन डिपार्टमेंटल प्रोसिडिंग्स के दौरान करना चाहिए। डिपार्टमेंट का हाई कोर्ट के सामक्ष कहना था कि सीजीएसटी नियमों के तहत जीएसटी DRC 01A  के पार्ट ए में नियम 142(1A) में कोई स्टेटमेंट भेजने की जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार के रूल 142(1A) में 15/10/2020 में हुए संशोधन के बाद ऐसी ही स्थिति बनी है।

डिवीजन बेंच का कहना था कि नियम 142(1A)  के तहत फॉर्म जीएसटी DRC 01A दर्शाता है कि यह प्री-शो कॉज नोटिस इंटिमेशन है असेसी को है ताकि वह या तो टैक्स की राशि और इंटरेस्ट जमा कर दे या उससे नाइत्तफाकी दर्शा सकता है जो बाद में शो कॉज नोटिस को जन्म देगा। जीएसटी DRC 01A  के इंटिमेशन से डीलर को मौका मिलता है कि वह विवाद को जमा करके सुलझा ले या फिर उसे न मानते हुए कानून के तहत होने वाली प्रोसिडिंग्स का सामना करे। आखिरकार यह असेसी और डिपार्टमेंट दोनों के लिए फायदेमंद है क्योंकि इससे मामले कम होते हैं। यह प्रिंसिपल ऑफ नैचरल जस्टिस यानी प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करने का भी संकेत है।