YOU ARE HERE Home > Blogs > जीएसटी में जॉब वर्क और GST ITC 04 रिटर्न
जीएसटी में जॉब वर्क और GST ITC 04 रिटर्न
जीएसटी में जॉबवर्क अउर GST ITC 04 रिटर्न
GST DOST's BLOG
Resource | Chapter 32 |
Resource | GST Discussion |
जीएसटी में जॉब वर्क और GST ITC 04 रिटर्न
जीएसटी में जॉब वर्क होने पर प्रिंसिपल को हर तिमाही, तिमाही खत्म होने से 25 दिनों के भीतर एक रिटर्न फाइल करना होता है, जिसे हम GST ITC 04 कहतें है | हालांकि जुलाई से सितम्बर तिमाही के GST ITC 04 को फाइल करने की समय सीमा 25 अक्टूबर से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2017 की गयी है | रिटर्न फाइल करने का एक्सटेंशन हर बार, बार -बार नहीं होगा, इसलिए आपको आज हम यहाँ GST ITC 04 के बारे में बात कर रहे है |
1. रिटर्न फाइल होगा तभी जॉब वर्क होगा और जॉब वर्क होगा तभी जब गुड्स moveable होगा | यानि अगर कोई काम immovable property जैसे की बिल्डिंग, सड़क, जमीन आदि पर होगा, उसे जॉब वर्क नहीं माना जायेगा | उदहारण के तौर पर अगर कोई पेंटर बिल्डिंग पर रंग रोगन करता है तो उसे जॉब वर्क नहीं मानेंगे लेकिन वही पेंटर अगर कार पर रंग रोगन का काम करता है, तो उसे जॉब वर्क माना जायेगा |
2. जॉब-वर्क के लिए प्रिंसिपल का जीएसटी में रजिस्टर्ड होना जरुरी है लेकिन जॉब वर्कर का नहीं | हालांकि जॉब वर्कर अगर रजिस्टर्ड नहीं है, तो प्रिंसिपल ने उसे जो गुड्स सप्लाई की है, उसकी वैल्यू रजिस्ट्रेशन लेने के लिए जो एग्रीगेट टर्नओवर की गणनामें शामिल कर ली जायेगी | उदहारण के तौर पर प्रिंसिपल ने अपंजीकृत जॉब वर्कर को 1 लाख रूपए वैल्यू का माल दिया जबकि उसपर जॉब वर्क चार्जेज 10000/- रूपए बनता है, तो अफसर उसका एग्रीगेट टर्नओवर 110000/- रूपए मानेगा और इस तरह पश्चिम बंगाल में उसका सालाना एग्रीगेट टर्नओवर 20 लाख रूपए से अधिक हो जायेगा तो उसे जीएसटी में लेना ही होगा और जीएसटी चार्ज कर जमा करना होगा | इस प्रावधान को जानना भी होगा और मानना भी होगा वर्ना जॉब वर्कर के यहाँ टैक्स, ब्याज, पेनल्टी के रूप में भविष्य में बड़ी देनदारी खड़ी हो सकती है |
3. जॉब वर्क के लिए मेरी समझ कहती है की माल का एक जगह से दूसरे जगह पर जाना और फिर लौटना भी जरुरी है | अगर प्रिंसिपल अपनी जीएसटी में पंजीकृत प्लेस ऑफ बिज़नेस पर ही कामगारों से गुड्स कोई काम करवाता है, तो उसे जॉब वर्क नहीं माना जायेगा | उदहारण के तौर पर रजिस्टर्ड दर्जी अपने दुकान पर एक हिस्से में दूसरे दर्जियों से सिलाई बुनाई का काम करवाता है, तो उसे जॉब वर्क नहीं माना जायेगा लेकिन अगर कोई साड़ी का व्यापारी साड़ी बेचने के बाद फॉल पिको करवाने के लिए साडी को घरो से ही फॉल पिको का काम करने वाली महिलाओं को भेजता है तो उसे जॉब वर्क माना जायेगा |
4. अगर सप्लाई है तो टैक्स इनवॉइस पर माल जाता है और सप्लाई नहीं है तो डिलीवरी चालान पर | इसलिए यह जरुरी नहीं है की हर वे बिल का डिलीवरी चालान होगा और हर डिलीवरी चालान का वे बिल होगा | चूँकि जॉब वर्क को सप्लाई नहीं माना गया है, इसलिए जॉब वर्क के लिए गुड्स को डिलीवरी चालान पर भेजना जरुरी है | डिलीवरी चालान कितना बना है, इसकी जानकारी GSTR-1 में जाती है और इसका हिसाब किताब जॉब वर्क से सम्बंधित होने पर GST-ITC-04 में प्रिंसिपल को देना होगा |
5. एक जॉब वर्कर से दूसरे जॉब वर्कर के घर पर माल भेजा जा सकता है लेकिन गुड्स इनपुट हो या कैपिटल गुड्स उसे वापस प्रिंसिपल के पास आना हो होगा | अगर कम आता है या फिर नहीं आता है तो उसे प्रिंसिपल के द्वारा जॉब वर्कर को सप्लाई मान ली जाएगी और उस पर टैक्स लगेगा | इनपुट के लिए समय सीमा 1 वर्ष की है जबकि कैपिटल गुड्स के लिए 3 वर्ष | हालांकि मोल्ड्स, डाइज, जिग्स, फिक्सचर, टूल्स का वापस लौट कर आना जरुरी नहीं है |
6. जॉब वर्क के दौरान जो स्क्रैप या वेस्टेज निकलता है, उसे जॉब वर्कर उसे अगर रजिस्टर्ड है तो अपने प्लेस ऑफ़ बिज़नेस से बेच सकता है लेकिन अगर रजिस्टर्ड नहीं है, तो बेचने का अधिकार केवल प्रिंसिपल को है | यानि स्क्रैप या वेस्टेज को लौटना होगा जॉब वर्कर को अगर वो रजिस्टर्ड नहीं है तो | हालांकि प्रिंसिपल उसे जॉब वर्कर के प्लेस ऑफ़ बिज़नेस से भी बेच सकता है |
सारे प्रावधानों के बारे में विस्तार से बताना संभव यहाँ नहीं है लेकिन संक्षेप में यह कह सकते है कि प्रिंसिपल को जॉब वर्क का पूरा पूरा हिसाब किताब GST ITC 04 में देना होगा और इस रिटर्न का विश्लेषण अफसर ऑडिट, इन्वेस्टीगेशन या स्क्रूटिनी के दौरान जरूर करेंगे |
Allahabad High Court Provides Relief to Businesses in Landmark GST e-Way Bill Ruling. [News]
GST Amnesty Scheme: A Golden Opportunity, But Heed the Advisory - Tax Samachar [News]
Madras High Court Quashes ITC Claim Rejection Based Solely on GSTR-3B and Directs Authorities to Consider Other Returns like GSTR 2A and GSTR 9. [Blog]
Supreme Court Upholds Statutory Immunity for Officers Under GST Act: A Closer Look at the Landmark Decision [Blog]
Consultant के Foreign Client पर GST का Impact [Video]
Goods Transport Agency और Multimodel Transporter अलग अलग है [Video]