Namaste DOST!
The recent circular (No. 233/27/2024-GST) issued by the Ministry of Finance provides much-needed relief to exporters who faced issues with claiming IGST refunds due to non-payment of IGST and Compensation Cess at the time of import. This circular addresses the eligibility for IGST refund claims when payments were made later with interest following the reassessment of the Bill of Entry. Here’s what exporters need to know about this critical update.
Purpose of the Circular
This circular aims to resolve the concerns of exporters who did not pay IGST and Compensation Cess at the time of import but later settled these dues with interest and completed the reassessment of their Bill of Entry. The clarification confirms that such exporters are now eligible to claim refunds, bringing much-needed clarity and relief to the export community.
Summary of the Circular
1. Background and Issue
Under Rule 96(10) of the CGST Rules 2017, exporters who did not pay IGST and Compensation Cess at the time of import and availed exemption benefits were previously disallowed from claiming IGST refunds. This rule relates to Notification No. 78/2017-Customs, and many exporters questioned if they could still claim refunds after making subsequent payments.
2. Clarification
According to the circular, if the IGST and Compensation Cess were not paid at the time of import but were later settled with interest, this scenario will not be treated as availing exemption benefits. Consequently, the claim for IGST refund is considered valid.
3. Decision
If IGST and Compensation Cess are paid later and the Bill of Entry is reassessed accordingly, such cases will not be treated as violations of Rule 96(10), and the IGST refund will be permissible.
4. Instructions to Authorities
Departments are instructed to disseminate this information to the business community and resolve any related issues promptly.
Practical Example for Better Understanding
ABC Exports Pvt. Ltd. did not pay IGST at the time of import. They later paid the IGST and Compensation Cess with interest and reassessed their Bill of Entry. Following this circular, their refund claim will now be considered valid.
Key Highlights
1. Previously:
Refund claims were rejected if IGST and Compensation Cess were not paid at the import stage.
2. Now:
Refund claims will be considered valid if IGST and Compensation Cess are paid later with reassessment.
3. Practical Implication:
This clarification simplifies the refund process and provides much-needed relief to exporters.
Conclusion
This circular brings significant relief to exporters, particularly those who faced hurdles in claiming refunds due to non-payment of IGST at the import stage. By allowing refunds post-payment and reassessment, the circular enhances transparency and stability in the business environment, supporting exporters in maintaining their cash flow and operational efficiency.
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Disclaimer:
This blog is intended for informational purposes only. Always consult your GST consultant before making any business decisions.
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नमस्कार दोस्त
सर्कुलर नंबर 233/27/2024-GST को Ministry of Finance ने उन व्यापारियों को राहत देने के लिए जारी किया है जिन्होंने आयात के समय IGST और उपकर का भुगतान नहीं किया था, लेकिन बाद में इसे चुका दिया। अगर आप भी सोच रहे थे, “Chalo Der Se Hi, Aaye Toh Sahi!” तो यह सर्कुलर आपके लिए ही है। आइए जानते हैं कैसे!
सर्कुलर का उद्देश्य:
यह सर्कुलर उन निर्यातकों के लिए है जिन्होंने आयात के समय IGST और उपकर का भुगतान नहीं किया। यदि बाद में IGST और उपकर का भुगतान ब्याज सहित किया जाए और Bill of Entry का पुनर्मूल्यांकन (Reassessment) करवा लिया जाए, तो रिफंड क्लेम वैध माना जाएगा।
सर्कुलर का सारांश:
1. पृष्ठभूमि और मुद्दा:
CGST नियम 2017 के नियम 96(10) के तहत, यदि आयात के समय IGST और उपकर का भुगतान नहीं किया गया और छूट का लाभ उठाया गया, तो IGST रिफंड का दावा नहीं किया जा सकता। व्यापारियों ने पूछा कि क्या बाद में IGST और उपकर चुकाने पर रिफंड का दावा किया जा सकता है। यह सर्कुलर अधिसूचना संख्या 78/2017-कस्टम्स से संबंधित है।
2. विवेचना:
स्पष्टीकरण के अनुसार, यदि आयात के समय IGST और उपकर का भुगतान नहीं किया गया लेकिन बाद में इसे ब्याज सहित चुका दिया गया, तो इसे छूट का लाभ नहीं माना जाएगा, और रिफंड का दावा वैध होगा।
3. निर्णय:
यदि IGST और उपकर का भुगतान बाद में किया गया है और Bill of Entry का पुनर्मूल्यांकन किया गया है, तो ऐसे मामलों में IGST रिफंड को नियम 96(10) का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।
4. अनुदेश:
संबंधित विभागों को निर्देश दिया गया है कि इस सर्कुलर की जानकारी व्यापारिक समुदाय तक पहुँचाएं और किसी भी समस्या का समाधान करें।
उदाहरण द्वारा स्पष्टीकरण:
ABC Exports Pvt. Ltd. ने आयात के समय IGST का भुगतान नहीं किया था। बाद में उन्होंने IGST और उपकर ब्याज सहित चुका दिया और Bill of Entry का पुनर्मूल्यांकन करवा लिया। अब उनके रिफंड दावे को वैध माना जाएगा।
मुख्य बातें:
1. पहले:
IGST और उपकर का भुगतान न करने पर रिफंड का दावा अस्वीकार होता था।
2. अब:
बाद में IGST और उपकर का भुगतान और पुनर्मूल्यांकन के बाद रिफंड को वैध माना जाएगा।
3. व्यावहारिकता:
यह स्पष्टीकरण व्यापारियों को राहत प्रदान करता है और रिफंड प्रक्रिया को सरल बनाता है।
निष्कर्ष:
इस सर्कुलर ने व्यापारियों के लिए बड़ी राहत दी है, खासकर उन लोगों के लिए जो आयात के समय IGST का भुगतान नहीं कर पाए थे। अब वे IGST और उपकर का भुगतान कर पुनर्मूल्यांकन के बाद रिफंड को नियमित कर सकते हैं, जिससे व्यापार में पारदर्शिता और स्थिरता आएगी।
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डिस्क्लेमर:
यह केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। किसी भी निर्णय से पहले अपने GST कंसल्टेंट से सलाह अवश्य लें।
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নমস্কার দোস্ত !
সার্কুলার নম্বর 233/27/2024-GST ফাইন্যান্স মন্ত্রক দ্বারা জারি করা হয়েছে, যাতে সেই ব্যবসায়ীদের স্বস্তি দেওয়া যায় যারা আমদানির সময় IGST এবং উপকর পরিশোধ করেননি কিন্তু পরবর্তীতে তা মিটিয়ে দিয়েছেন। যদি আপনারও মনে হয়েছে, “Chalo Der Se Hi, Aaye Toh Sahi!” তাহলে এই সার্কুলার আপনার জন্যই। আসুন জানি কিভাবে!
সার্কুলারের উদ্দেশ্য:
এই সার্কুলার সেই এক্সপোর্টারদের জন্য যারা আমদানির সময় IGST এবং উপকর পরিশোধ করেননি। যদি পরবর্তীতে IGST এবং উপকর সহ সুদ মিটিয়ে দেওয়া হয় এবং Bill of Entry এর পুনর্মূল্যায়ন (Reassessment) করা হয়, তবে রিফান্ড ক্লেম বৈধ বলে গণ্য হবে।
সার্কুলারের সারাংশ:
1. পটভূমি এবং ইস্যু:
CGST রুলস 2017 এর রুল 96(10) অনুযায়ী, যদি আমদানির সময় IGST এবং উপকর পরিশোধ না করা হয় এবং ছাড়ের সুবিধা নেওয়া হয়, তবে IGST রিফান্ডের দাবী করা যাবে না। ব্যবসায়ীরা জিজ্ঞাসা করেছিলেন যে, যদি পরে IGST এবং উপকর পরিশোধ করা হয়, তবে কি রিফান্ডের দাবী করা যাবে? এই সার্কুলার নোটিফিকেশন নম্বর 78/2017-কাস্টমস সম্পর্কিত।
2. বিবেচনা:
স্পষ্টীকরণের মতে, যদি আমদানির সময় IGST এবং উপকর পরিশোধ না করা হয়, তবে পরবর্তীতে সুদ সহ পরিশোধ করলে সেটিকে ছাড়ের সুবিধা নেওয়া বলে ধরা হবে না এবং রিফান্ডের দাবী বৈধ হবে।
3. সিদ্ধান্ত:
যদি IGST এবং উপকর পরবর্তীতে পরিশোধ করা হয় এবং Bill of Entry এর পুনর্মূল্যায়ন করা হয়, তবে সেই ক্ষেত্রে IGST রিফান্ড রুল 96(10) এর লঙ্ঘন বলে ধরা হবে না।
4. নির্দেশ:
সম্পর্কিত দপ্তরগুলোকে নির্দেশ দেওয়া হয়েছে যে এই সার্কুলারের তথ্য ব্যবসায়িক কমিউনিটির কাছে পৌঁছায় এবং যেকোনো সমস্যার সমাধান করা হয়।
উদাহরণ দ্বারা স্পষ্টীকরণ:
ABC Exports Pvt. Ltd. আমদানির সময় IGST পরিশোধ করেনি। পরবর্তীতে তারা IGST এবং উপকর সহ সুদ মিটিয়ে দেয় এবং Bill of Entry এর পুনর্মূল্যায়ন করিয়ে নেয়। এখন তাদের রিফান্ড দাবী বৈধ বলে ধরা হবে।
মূল পয়েন্টস:
1. আগে:
IGST এবং উপকর পরিশোধ না করার কারণে রিফান্ড দাবী প্রত্যাখ্যান হতো।
2. এখন:
পরবর্তীতে IGST এবং উপকর পরিশোধ ও পুনর্মূল্যায়নের পর রিফান্ড বৈধ বলে গণ্য হবে।
3. বাস্তবতা:
এই স্পষ্টীকরণ ব্যবসায়ীদের স্বস্তি দেয় এবং রিফান্ড প্রক্রিয়াকে সহজ করে তোলে।
উপসংহার:
এই সার্কুলার ব্যবসায়ীদের জন্য বড় স্বস্তি নিয়ে এসেছে, বিশেষ করে তাদের জন্য যারা আমদানির সময় IGST পরিশোধ করতে পারেননি। এখন তারা IGST এবং উপকর পরিশোধ ও পুনর্মূল্যায়নের পর রিফান্ডের দাবী নিয়মিত করতে পারবেন, যা ব্যবসায়ে স্বচ্ছতা ও স্থিতিশীলতা নিয়ে আসবে।
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ডিসক্লেমার:
এটি শুধুমাত্র তথ্য প্রদানের উদ্দেশ্যে। কোনও সিদ্ধান্ত নেওয়ার আগে আপনার GST কনসালটেন্টের সাথে পরামর্শ করুন।
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