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पैडमैन का संदेश जीएसटी के लिए भी गलत नहीं

GST DOST's BLOG

Feb, 2018
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Resource Chapter 73            
Resource GST Discussion            

फिल्मों की बात करें तो जहां ब्लॉकबस्टर मसाला फिल्मों की कमी नहीं हैं वहीं हकीकत से रूबरू कराते और वास्तविक जीवन को दर्शाते पैरेलल सिनेमा भी अपनी छाप छोड़ते रहे हैं। इन फिल्मों के अलावा कुछ ऐसी भी फिल्में आती हैं जो मेन स्ट्रीम यानी मुख्यधारा और बिग बजट की फिल्म होने के अलावा बेहतरीन संदेश भी दे जाती हैं। फिल्में भी चलती हैं और लोगों को एक बेहतर संदेश भी जाता है। ऐसी ही फिल्म है पैडमैन। जिसमें महिलाओं की माहवारी से जुड़ी समस्या को उठाते हुए सैनिट्री नैपकीन यानी पैड की जरूरत को दर्शाया गया है। यह सच्चाई है कि गावों में पीरियड के दौरान सफाई के प्रति कम ही महिलाएं जागरूक होती हैं। हक़ीकत यह भी है कि माहवारी को महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी सामान्य स्थिति न समझकर कई बार उसे नीची निगाह से देखा जाता है। पीरियड के दौरान महिलाओं को कई काम करने से रोका जाता है। जैसे पूजा करना या फिर अचार छूना। गावों में पीरियड के दौरान पैड का इस्तेमाल न करना एक आम बात है। इसकी वज़ह है कि उनके पास या तो पैड खरीदने के पैसे नहीं होते या फिर पैड की अहमियत की उन्हें कोई जानकारी नहीं होती। यह दोनों भी हो तो कई बार घर के आसपास मेडिकल स्टोर न होने की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पीरियड के दौरान अन्य कपड़ा इस्तेमाल करने से इन्फेक्शन का बेहद डर रहता है। फिल्म को अगर आप देखें तो इसमें इसके मुख्य कलाकार अक्षय कुमार को उनकी नयी सोच के लिए नकार दिया जाता है और आहिस्ता ही सही जब लोगों को अहसास होता है कि पैड का इस्तेमाल औरतों के स्वास्थ्य के लिए कितना ज़रूरी है तो वह अक्षय कुमार को अपना हीरो बना लेते हैं। ठीक यही हाल जीएसटी का भी है। कई लोग शुरूआत में इसे नापसंद कर रहे हैं लेकिन यह समझना होगा कि यह नया है इसलिए इससे डर लगना असामान्य कुछ नहीं। लेकिन सही तकनीक और जानकारी के बल अगर जीएसटी का लाभ उठाया जाये तो कारोबार की सेहत के लिए बेहद लाभदायक साबित होगा। ज़रूरत है तो बस नयी सोच और तकनीक की।

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