Namaste!
Today, I would like to address the concept of the functional test, which has emerged as a pivotal topic in relation to input tax credit (ITC) claims under the GST Act, particularly following the Supreme Court's ruling in M/s Safari Retreats Private Limited. During discussions with various business owners and tax professionals, I noticed a common belief that if a building is utilized for rental purposes, ITC on the construction cost may be claimed.
While this notion holds some merit, it is not entirely accurate. A detailed reading of the Supreme Court's judgment clarifies that ITC can only be claimed when the relevant goods or services satisfy the functional test. Although the functional test lacks a precise statutory definition, the judgment references several prior rulings, which may introduce complexity. Upon discussing specific case examples, many realized that navigating these issues could substantially simplify ITC claims.
Now, I share these insights with you to help mitigate the challenges of ITC claim rejections.
1. Multi-Dimensional Understanding of the Functional Test
The functional test is a complex concept that requires a multi-dimensional understanding. Various courts have interpreted it from different perspectives, adding to its intricacy. This complexity underscores the need for a thorough understanding of the functional test.
For instance, a two-judge bench of the Supreme Court concluded that a hotel is to be classified as immovable property and cannot be regarded as a 'plant.' Conversely, while agreeing in principle, a three-judge bench classified a dry dock — also immovable property — as a 'plant' because, in their view, the dry dock is an indispensable part of the business process (ship repairs). Without it, business operations would be significantly hampered, making it more than just a location but a critical operational tool. Thus, it becomes essential to distinguish between "sitting and means" when applying the functional test.
2. Controversy on the Lift ITC
Based on the functional test, one could argue that a lift qualifies as a 'plant.' However, numerous judgments have determined that a lift should be classified as immovable property, as it is permanently integrated into the building and requires governmental approval for installation. Consequently, lifts may also be classified as 'not a plant.' In such instances, reference must be made to rulings where immovable property has been recognized as a 'plant.' You should consider making an ITC claim not under Section 17(5)(c) but under the exceptions provided in Section 17(5)(d).
3. Absence of a Universal Precedent
It is crucial to acknowledge that no single judgment governs all scenarios. Each case must be assessed based on its unique facts and circumstances.
My perspective:
Our GST research indicates that every case presents its own nuances, and overconfidence should be avoided. There is always potential for claiming ITC, as every argument has two sides. It is vital to identify the aspects that favour your ITC claim. Therefore, I strongly recommend that, if you are a business owner, you seek the counsel of a GST expert to preserve your ITC claim under the exceptions outlined in Section 17(5)(d) of the GST Act. This expert advice will provide you with a sense of security and guidance in navigating the complexities of ITC claims.
Looking ahead:
In the coming days, we will further explore the various criteria involved in the functional test. Our discussions will ensure clarity on this subject, supplemented with case law and practical examples to assist you in navigating these complexities effectively.
Thank you.
नमस्कार!
आज मैं आपसे फंक्शनल टेस्ट के बारे में बात करूँगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के मेसर्स सफारी रिट्रीट्स प्राइवेट लिमिटेड के मामले में दिए गए फैसले के बाद, यह जीएसटी के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट दावों के संदर्भ में चर्चा का केंद्रीय बिंदु बन गया है। मैं भी इससे अछूता नहीं हूं। व्यापारियों और टैक्स प्रोफेशनल से चर्चा के दौरान यह पाया गया कि यह धारणा आम हो गई है कि यदि किसी बिल्डिंग का उपयोग रेंटल बिजनेस के लिए किया जाता है, तो उसके कंस्ट्रक्शन पर आईटीसी का दावा किया जा सकता है।
मैंने उनसे कहा कि यह काफी हद तक सही है, लेकिन पूरी तरह नहीं। उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आईटीसी का दावा तभी किया जा सकता है जब संबंधित वस्तुओं या सेवाओं ने फंक्शनल टेस्ट पास किया हो। इतना ही नहीं, मैंने बताया कि फंक्शनल टेस्ट की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है, लेकिन इस फैसले में कई पुराने फैसलों का हवाला दिया गया है, जिससे उलझन बढ़ सकती है। मैंने कुछ मामलों का उदाहरण भी दिया, जिन्हें जानने के बाद उन्होंने कहा कि आईटीसी क्लेम में दिक्कत कम होगी।
उनके साथ जो साझा किया, उसमें से कुछ अब आपके साथ साझा कर रहा हूं ताकि आप भी आईटीसी के क्लेम को नकारे जाने की परेशानी से बच सकें।
1. फंक्शनल टेस्ट को समझने का बहुआयामी दृष्टिकोण
फंक्शनल टेस्ट को समझने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है क्योंकि विभिन्न न्यायालयों ने इसे अलग-अलग दृष्टिकोण से व्याख्या की है।
उदाहरण के लिए, सुप्रीम कोर्ट की दो-जजों की बेंच ने निष्कर्ष निकाला कि होटल को अचल संपत्ति के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा और इसे 'प्लांट' नहीं माना जाएगा। दूसरी ओर, तीन-जजों की बेंच ने इस सिद्धांत पर सहमति व्यक्त की, लेकिन एक ड्राई डॉक को, जो एक अचल संपत्ति भी है, 'प्लांट' के रूप में वर्गीकृत किया क्योंकि उनके अनुसार ड्राई डॉक व्यापार प्रक्रिया (जहाजों की मरम्मत) का एक अनिवार्य हिस्सा है। इसके बिना व्यापार सुचारु रूप से नहीं चल सकता, और यह केवल व्यापार का स्थान नहीं है, बल्कि व्यापार संचालन का एक महत्वपूर्ण साधन है। इसलिए हमें 'सिर्फ एक स्थान' बनाम 'साधन' जैसे अन्य मानकों को भी फंक्शनल टेस्ट के दौरान ध्यान में रखना होगा।
2. लिफ्ट का मामला और विवाद
फंक्शनल टेस्ट के आधार पर कहा जा सकता है कि लिफ्ट 'प्लांट' है। हालांकि, कई जजमेंट ऐसे हैं, जिसमें कोर्ट ने माना है कि लिफ्ट 'प्लांट' नहीं बल्कि 'अचल संपत्ति' है, क्योंकि इसे इमारत में इंटेग्रेट किया जाता है और इसके इंस्टालेशन के लिए सरकारी अनुमति की आवश्यकता होती है। इसलिए लिफ्ट को 'प्लांट नहीं है' भी कहा जा सकता है। ऐसे में हमें उन जजमेंट का रेफरेंस देना होगा जहां अचल संपत्ति को भी 'प्लांट' के रूप में मान्यता दी गई थी। आपको सेक्शन 17(5)(सी) नहीं, सेक्शन 17(5)(डी) के एक्सेप्शन में आईटीसी क्लेम करना होगा।
3. एक फैसले का अभाव
आपको यह समझना होगा कि ऐसा कोई सिंगल जजमेंट नहीं है जो सभी परिदृश्यों पर लागू हो।
मेरी बात, दिल से:
हमारा जीएसटी रिसर्च कहता है कि हर मामला अपने आप में अलग होता है, इसलिए ओवर कॉन्फिडेंस से बचिए। आईटीसी जरूर मिलेगा क्योंकि सिक्के के हमेशा दो पहलू होते हैं। आपको वह देखना है जो आपको आईटीसी दिला सकता है। इसलिए मेरी सलाह है कि अगर आप बिजनेसमैन हैं तो जीएसटी की धारा 17(5) (डी) के एक्सेप्शन के तहत आईटीसी का क्लेम बनाए रखने के लिए जीएसटी एक्सपर्ट से सलाह लें।
अभी आने वाले दिनों में, हम इन फंक्शनल टेस्ट के विभिन्न मानकों पर और गहराई से चर्चा करेंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि आपको आसानी से समझ आए, इसलिए केस लॉ के साथ उदाहरणों से समझाने की कोशिश करेंगे।
धन्यवाद!
নমস্কার!
আজ আমি আপনাদের সাথে ফাংশনাল টেস্ট নিয়ে আলোচনা করবো, যেটি মেসার্স সাফারি রিট্রিটস প্রাইভেট লিমিটেড-এর ক্ষেত্রে সুপ্রিম কোর্টের সাম্প্রতিক রায়ের পর জিএসটি আইনের অধীনে ইনপুট ট্যাক্স ক্রেডিট (আইটিসি) দাবি প্রসঙ্গে একটি গুরুত্বপূর্ণ বিষয় হয়ে উঠেছে। ব্যবসায়ীদের এবং কর পেশাদারদের সাথে আলোচনার সময় আমি দেখেছি যে অনেকেই ধারণা করেছেন, যদি কোনো ভবনকে ভাড়ার ব্যবসায়ের জন্য ব্যবহার করা হয়, তবে তার নির্মাণে খরচ হওয়া আইটিসি দাবি করা যায়।
আমি তাদের জানালাম, যদিও এটি কিছুটা সঠিক, কিন্তু সম্পূর্ণভাবে নয়। সুপ্রিম কোর্টের রায়টি মনোযোগ দিয়ে পড়লে বোঝা যাবে, আইটিসি তখনই দাবি করা সম্ভব যখন সংশ্লিষ্ট পণ্য বা পরিষেবাগুলি ফাংশনাল টেস্ট পাস করবে। ফাংশনাল টেস্টের কোনও নির্দিষ্ট সংজ্ঞা নেই, তবে এই রায়ে বহু পুরনো রায়ের উল্লেখ করা হয়েছে, যা বিষয়টিকে কিছুটা জটিল করে তুলেছে। কিছু উদাহরণের মাধ্যমে আমি ব্যাখ্যা করার পর তারা বুঝতে সক্ষম হল , আইটিসি দাবি নিয়ে সমস্যাগুলি সহজে সমাধান করা সম্ভব।
এখন, আমি আপনাদের সাথে এই বিষয়গুলি ভাগ করছি যাতে আপনাদেরও আইটিসি দাবিতে অস্বীকৃতির সমস্যায় পড়তে না হয়।
1. ফাংশনাল টেস্টের বহুমুখী দৃষ্টিভঙ্গি
ফাংশনাল টেস্ট বোঝার জন্য আমাদের বহুমুখী দৃষ্টিভঙ্গি গ্রহণ করা উচিত, কারণ বিভিন্ন আদালত এটিকে বিভিন্ন ভাবে বিশ্লেষণ করেছেন।
উদাহরণস্বরূপ, সুপ্রিম কোর্টের একটি দুই মহামান্য বিচারপতির বেঞ্চ একটি হোটেলকে স্থাবর সম্পত্তি হিসেবে চিহ্নিত করেছেন, যা ‘প্ল্যান্ট’ হিসাবে ধরা হবে না। অন্যদিকে, তিন মহামান্য বিচারপতির বেঞ্চের মতে, একটি ড্রাই ডক, যা একটি স্থাবর সম্পত্তি, সেটিকে 'প্ল্যান্ট' হিসাবে বিবেচনা করা হয়েছে কারণ এটি ব্যবসার একটি অপরিহার্য অংশ (যেমন জাহাজ মেরামত)। এর মাধ্যমে বোঝা যায়, শুধুমাত্র স্থানের মানদণ্ড নয়, ‘ব্যবসার জন্য অপরিহার্য উপকরণ’ বিষয়টিও ফাংশনাল টেস্টের ক্ষেত্রে প্রযোজ্য।
2. লিফ্টের ব্যবহার নিয়ে দ্বিধা
ফাংশনাল টেস্টের ভিত্তিতে বলা যেতে পারে, লিফ্ট ‘প্ল্যান্ট’ হিসেবে গণ্য হতে পারে। কিন্তু বিভিন্ন রায়ে আদালত বলেছেন, লিফ্ট স্থাবর সম্পত্তি হিসেবে বিবেচিত হবে, কারণ এটি ভবনের সঙ্গে স্থায়ীভাবে সংযুক্ত থাকে এবং ইনস্টলেশনের জন্য অনুমতি প্রয়োজন হয়। তবে কিছু ক্ষেত্রে লিফ্টকে ‘প্ল্যান্ট’ হিসেবে বিবেচনা করা হয়েছে, যেমন যেখানে লিফ্ট ব্যবসায়িক কার্যক্রমের একটি অবিচ্ছেদ্য অংশ। তাই সঠিক আইনি দৃষ্টিভঙ্গির জন্য সেকশন 17(5)(D)-এর অধীনে আইটিসি দাবির সম্ভাবনা খতিয়ে দেখতে হবে।
3. একটি একক সিদ্ধান্তের অভাব
এখানে একটি গুরুত্বপূর্ণ বিষয় হলো, আইটিসি সংক্রান্ত একটি নির্দিষ্ট রায় যা সমস্ত পরিস্থিতিতে প্রযোজ্য, এমন কোনও নির্দিষ্ট মামলা নেই। প্রতিটি মামলার নির্দিষ্টতা অনুযায়ী সিদ্ধান্ত নিতে হবে।
আমার মতামত (CA বিকাশ ধানানিয়া ):
প্রত্যেক ব্যবসায়ীর ক্ষেত্রে পরিস্থিতি আলাদা হতে পারে, এবং আইটিসি দাবি করার সুযোগ সবসময় থেকে যায়, কারণ প্রতিটি আইনের দুটি দিক থাকে। তাই আমি পরামর্শ দেব, আইটিসি দাবির জন্য জিএসটি আইনের সেকশন 17(5)(D)-এর ব্যতিক্রম ভালভাবে বুঝে একজন দক্ষ জিএসটি পরামর্শকের সহায়তা নিন।
আসন্ন আলোচনায়:
আগামী দিনে আমরা আরও গভীরে যাব এবং ফাংশনাল টেস্টের মানদণ্ডগুলিকে বিশ্লেষণ করব, যাতে আপনি এই বিষয়ে সুস্পষ্ট ধারণা লাভ করতে পারেন। আমরা বাস্তব উদাহরণের মাধ্যমে বিষয়টি আরও পরিষ্কার করব এবং আপনাকে সঠিক পথে এগিয়ে যেতে সাহায্য করব।
ধন্যবাদ!