जीएसटीआर-1 की देनदारी किश्तों में भी हो सकती है जमा
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नमस्कार दोस्तों...
नियम व कानून लोगों की सहायता के लिए बनाये जाते हैं, लेकिन कई बार इसमें अपवाद भी देखे जाते हैं.
जीएसटी कानून, भी काफी कुछ ऐसा ही है जो बिजनेस के सभी आयामों को कवर करता है लेकिन इसमें अपवाद और इससे जुड़ी समस्याएं कमोबेश रोज ही देखने को मिल जाते हैं.
अगर आप जीएसटी को लेकर समस्याओं से घिरे हैं या अपनी जीएसटी की देनदारी को लेकर असमंजस में हैं तो यह ब्लॉग आपको न्यायपालिका की ताकत का अहसास करायेगा और यह बतायेगा कि जीएसटी में हर समस्या का समाधान है. भले ही आपको लगे कि सभी रास्ते बंद हो गये हैं, कुछ दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं.
ये कहानी है केरल के एक बिजनसेमैन की. हम सभी की तरह उन्हें भी कोरोना काल में समस्याओं का सामना करना पड़ा. उनसे संबंधित केस, मलयालम मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा केरल हाई कोर्ट में दायर किया गया.
कंपनी का अदालत में कहना था कि उन्होंने फरवरी 2020 से मई 2020 तक का जीएसटीआर-1 रिटर्न फाइल कर दिया था लेकिन टैक्स की राशि को अदा नहीं कर पा रहे.
कंपनी के वकील ने अदालत में कहा कि अपनी देनदारी को लेकर कंपनी का कोई विरोध नहीं है लेकिन वह केवल टैक्स की राशि को किश्तों यानी इन्स्टॉलमेंट में जमा करना चाहते हैं. उनका आगे कहना था कि कंपनी का कारोबार पूरी तरह फिलहाल बंद है और कोई कमाई नहीं हो रही. इसीलिए वह टैक्स जमा करने में फिलहाल असमर्थ हैं.
अब जीएसटी कानून में किश्तों में टैक्स जमा करने का कोई प्रावधान ही नहीं है, लेकिन प्राकृतिक आपदा को ध्यान में रख कर मामला दायर किया गया था. ऐसी आपदा जिसने याचिकाकर्ता समेत अधिकांश लोगों को परेशान कर दिया है.
हाई कोर्ट का फैसला
कइयों को आश्चर्यचकित करते हुए फैसला बिजनेसमैन के पक्ष में आया. अदालत ने महामारी की मौजूदा स्थिति को स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को बराबर किश्तों में राशि जमा करने की इजाजत दे दी. जो 15 नवंबर 2020 से 15 अगस्त 2021 तक जमा की जायेगी. इस पेमेंट में ब्याज और लेट फीस, अगर कुछ होता है, तो वो भी शामिल रहेगा.
जज ने टैक्स अधिकारियों को भी निर्देश दिया कि तय समयसीमा से पहले राशि को जमा करने के लिए वह दबाव न डालें. लेकिन अगर कंपनी किश्तों को जमा करने में नाकाम होती है तो उस सूरत में रिकवरी की कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया.
मामले का ब्यौरा
WP(C) No.21490 of 2020 (I), IN THE HIGH COURT OF KERALA
AT ERNAKULAM
आपके ध्यानार्थ केस नंबर भी दिया गया है. अगर आप मामले के जजमेंट को पढ़ना चाहें या फिर इसे अन्य कहीं उल्लेख करना चाहें तो आपके काम आ सकता है.
मिला सबक
इस फैसले से सबसे बड़ा सबक यह मिलता है कि जीएसटी की जटिल समस्याओं का भी समाधान होता है, चाहें सबकुछ आपके खिलाफ ही क्यों न जा रहा हो. भारतीय कानून के तहत बिजनेसमैन के पास ऐसे कई तरीके होते हैं जिनसे वह स्वयं को जटिल परिस्थितियों में सुरक्षित रख सकता है.
लेकिन यह ध्यान रखे की अगर आपका मिलता जुलता मामला है तो आप रिफरेन्स ले सकते है, कमिश्नर से बात करने के लिए और अगर बात नहीं बने तो हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा . लेकिन यह भी जरुरी नहीं हैं की हाई कोर्ट से आपको भी राहत मिल जाये. इसलिए सोच समझकर कंसलटेंट अधिवक्ता से सलाह मशवरा करके ही आगे बढ़ें.
अगर आपको जीएसटी के संबंध में कोई परेशानी या दिक्कत है तो आप हमसे भी संपर्क कर सकते हैं. आपकी समस्याओं पर आपको विशेषज्ञ सलाह मिलेगी. हमारा वादा है कि आपको दिया जाने वाला सॉल्यूशन आपके लिए बिल्कुल टेलरमेड, सहज और वाजिब होगा.
धन्यवाद
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