YOU ARE HERE Home > Blogs > ई-वे बिल में वाहन का गलत नंबर पड़ सकता है भारी
ई-वे बिल में वाहन का गलत नंबर पड़ सकता है भारी
GST DOST's BLOG
नमस्कार दोस्तों..
क्या आपको पता है कि ई-वे बिल में दिया गया वाहन का नंबर अगर चेकिंग में मिसमैच पाया जाता है तो आपको लेने के देने पड़ सकते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ एक सप्लायर के साथ..और इस मुसीबत से उन्होंने कैसे निजात पाई, वह भी बेहद दिलचस्प है।
कैसे...? तो हमारा यह ब्लॉग आपको इस मुसीबत से निकलने का तरीका भी बतायेगा। यह एक सच्ची घटना पर आधारित है।
वाकया
उत्तर भारत के एक बड़े सप्लायर, इंटीग्रेटेड कंस्ट्रक्टिव सॉल्यूशंस जो बड़े इक्विपमेंट्स की सप्लाई करते हैं, उनके एक कंसाइनमेंट को जीएसटी अधिकारियों ने इन-ट्रांजिट रोका। कागजात की जांच में सबकुछ सही था। लेकिन जब ई-वे बिल की जांच की गयी तो पाया गया कि उसमें दर्ज वाहन का नंबर, पकड़े गये वाहन के नंबर से अलग था। इस मिसमैच के बाद अधिकारियों ने सप्लायर पर टैक्स चोरी की कोशिश का इलजाम लगाया और 16.28 लाख रुपये का टैक्स व जुर्माना उन पर थोप दिया।
अगला कदम
इस जुर्माने को थोपे जाने के बाद सप्लायर ने अपील की। वहाँ उन्होंने हालात को स्पष्ट किया और बताया कि ई-वे बिल में जिस वाहन का नंबर दर्ज था वह आधी रात को बीच रास्ते में खराब हो गया। ऐसे में माल को दूसरे वाहन में शिफ्ट करना पड़ा। वाहन को अधिकारियों को पकड़े जाने के दो घंटे के भीतर ही ई-वे बिल को अपडेट कर दिया गया था। टैक्स चोरी की उनकी कोई मंशा ही नहीं थी।
अपीलेट ऑथोरिटी का फैसला
अपीलेट ऑथोरिटी ने माना कि सप्लायर की टैक्स चोरी का कोई इरादा नहीं था क्योंकि कागजात में दर्ज माल एक ही था औऱ वह नहीं बदला था। उसका टैक्स अदा कर दिया गया था। ऐसे में केवल वाहन का नंबर बदल देने से टैक्स चोरी नहीं हो सकती। टैक्स चोरी की मंशा का आरोप गलत है। लिहाजा 16.28 लाख रुपये के टैक्स और पेनाल्टी के बदले महज 10 हजार रुपये का जुर्माना उन पर लगाया गया।
सबक
उपरोक्त घटना से यह पता चलता है कि ई-वे बिल में दर्ज वाहन का नंबर और माल ले जा रहे वाहन का नंबर एक ही होना चाहिए। बीच रास्ते में अगर मूल वाहन खराब हो जाता है और माल को दूसरे वाहन में शिफ्ट करने की जरूरत होती है तो ऐसे में ई-वे बिल को भी तत्काल अपडेट करना जरूरी है। ऐसा करके किसी भी परेशानी से बचा जा सकता है।
इस केस के बारे में आपको और अधिक जानकारी चाहिए तो निम्न केस के डीटेल से पता चल सकता है।
Appellate Authority - GST, HIMACHAL PRADESH
Integrated Constructive Solutions vs.
ACST & E-Cum-Proper Officer, Chamba Circle
ROHIT CHAUHAN, MEMBER
APPEAL NO. 018 OF 2019
ENDST. NO. EXN. -018/2019-AA/GST SHIMLA
HP - 3159 – 64
यह भी जाने
सर्कुलर 64/38/2018 के अनुसार अगर ई वे बिल में जो ट्रक नंबर दर्ज है, उसमें 1 या 2 डिजिट या करैक्टर में भूल को माइनर मिस्टेक माना जाता है और तब सेक्शन 125 के तहत इस भूल के लिए केवल 1000 रूपए की अधिकतम पेनाल्टी लग सकती है |
जीएसटी संबंधित किसी भी अन्य जानकारी या समस्या होने पर संपर्क करें अपने जीएसटी दोस्त के साथ
आपकी मुश्किल घड़ी का दोस्त
दोस्त विकास धनानिया
Allahabad High Court Provides Relief to Businesses in Landmark GST e-Way Bill Ruling. [News]
GST Amnesty Scheme: A Golden Opportunity, But Heed the Advisory - Tax Samachar [News]
Madras High Court Quashes ITC Claim Rejection Based Solely on GSTR-3B and Directs Authorities to Consider Other Returns like GSTR 2A and GSTR 9. [Blog]
Supreme Court Upholds Statutory Immunity for Officers Under GST Act: A Closer Look at the Landmark Decision [Blog]
Consultant के Foreign Client पर GST का Impact [Video]
Goods Transport Agency और Multimodel Transporter अलग अलग है [Video]