ई-वे बिल- सरल और सहज शब्दों में

GST DOST's BLOG

ई-वे बिल- सरल और सहज शब्दों में
Mar, 2018
By Vikash Dhanania Read in : हिन्दी
Resource Chapter 82            
Resource GST Discussion            

1. ई-वे बिल को जेनरेट रजिस्टर्ड कन्साइनर या कन्साइनी करेगा जो माल का ट्रांसपोर्टेशन करवायेगा | लेकिन अगर ट्रांसपोर्टर के पास उनसे ऑथॉरिज़ेशन हो उनसे तो वो भी जेनरेट कर सकते है |

2. अगर जॉब वर्क के लिए माल एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजा जा रहा है तो ई-वे बिल प्रिंसिपल या रजिस्टर्ड जॉब वर्कर को जेनरेट करना होगा भले ही माल की वैल्यू कुछ भी हो|

3. कंसाइनमेंट वैल्यू और बिल वैल्यू में फर्क होता है | कंसाइनमेंट वैल्यू 50,000 रुपए से अधिक होने पर ही ही ई-वे बिल लगेगा। कंसाइनमेंट वैल्यू में माल पर लगने वाला जीएसटी शामिल होती है | हालांकि अगर टैक्सेबल और एग्जेंम्पटेड गुड्स दोनों के एक साथ ट्रांसपोर्टेशन होने के सूरत में अगर एक टैक्स इनवॉइस ही बनाया गया है तो एग्जेंम्पटेड गुड्स की वैल्यू कंसाइनमेंट वैल्यू में शामिल नहीं होगी | मिसाल के तौर पर अगर एक ही बिल में चावल (अनब्रांडेड पर जीएसटी नहीं है) और चीनी (जिस पर जीएसटी है) है तो केवल चीनी की वैल्यू की ही गणना की ही जायेगी।

4. किसी भी माध्यम सड़क, रेल, जल, वायु से माल को ट्रांसपोर्टेशन हो तो ई-वे बिल लगेगा, यह तब भी लगेगा जब माल भेजने वाला उस वाहन का मालिक हो या फिर किराये पर लिया हो |

5. अगर रेल मार्ग से गुड्स का ट्रांसपोर्टेशन हो रहा है तो माल की डिलीवरी तभी मिल सकेगी जब ई-वे बिल पेश किया जायेगा। 

6. अगर ट्रक में कई व्यापारियों का माल है, जैसा की खुदरा बुकिंग में होता है, और उनमें से कइयों की कन्साइनमेंट वैल्यू 50000/- रूपए से कम भी होगी तो उन्होंने ई-वे बिल ट्रांसपोर्टर को जेनरेट करके नहीं दिया होगा। लेकिन ई-वे बिल के नियम 138(7) के अनुसार ऐसी सूरत में ट्रांसपोर्टर को उस कन्साइनमेंट वैल्यू का भी ई-वे बिल जेनरेट करना होगा बशर्ते ट्रक में सभी मालो की कन्साइनमेंट वैल्यू 50000/- रूपए से अधिक हो | इससे शुरुआत में ट्रांसपोर्टर को बेहद परेशानी होगी और इस वजह से जीएसटी कौंसिल ने 10 फरवरी 2018 कि मीटिंग मे इस नियम पर अस्थायी रोक लगाने का निर्णय किया है | यानि फिलहाल ट्रक में 50,000 रुपये से कम कन्साइनमेंट वैल्यू का माल होने पर ई-वे बिल नहीं लगेगा।

7. पब्लिक कनवेयेंस जैसे कि बस, टैक्सी आदि से अगर गुड्स को ट्रांसपोर्ट किया जाता है तो भी ई-वे बिल लगेगा और उसे जेनरेट करने की जिम्मेदारी कनसाइनर या कनसाइनी की है जो माल का ट्रांसपोर्टेशन करवा रहा है |

8. जो ई-वे बिल जेनरेट करता है, उसे वह जेनरेट होने के 24 घंटे के भीतर कैंसिल कर सकता है लेकिन सामने वाली पार्टी, कन्साइनर या कन्साइनी जिस पर ई-वे बिल जेनरेट हुआ है, उसे वो 72 घंटे के भीतर या माल पहुंचने से पहले, जो भी पहले होता है, उसके भीतर ही उसे कैंसिल कर सकता है | लेकिन माल निकलते ही अगर माल का वेरिफिकेशन हो गया है तो किसी भी सूरत में वो ई-वे बिल कैंसिल नहीं होगा |

9. पार्टी के गोदाम से ट्रांसपोर्टर के पास तक या फिर ट्रांसपोर्टर के पास से फाइनल डिलीवरी के लिए पार्टी के गोदाम तक ई-वे बिल में पार्ट बी अपडेट नहीं करना होगा बशर्ते यह दूरी राज्य के भीतर और 50 किलोमीटर (पहले 10 किलोमीटर तक थी) तक ही हो। लेकिन माल का ट्रांसपोर्टेशन अगर एक राज्य से दूसरे राज्य में हो रहा है तो पार्ट B अपडेट करना ही होगा | साथ ही साथ अगर माल का ट्रांसपोर्टेशन पार्टी से पार्टी के यहाँ हो रहा है तो दूरी मायने नहीं रखती है, वैल्यू जरूर रखती है यानि ई-वे बिल लगेगा जब तब कन्साइनमेंट वैल्यू 50000/- रूपए से अधिक हो | 

10. एग्जेंम्पटेड गुड्स का या निर्दिष्ट गुड्स के ट्रांसपोर्टेशन पर ई-वे बिल नहीं लगता है | कहाँ कहाँ ई-वे बिल नहीं लगता है, जानने के लिए लिंक पर क्लिक करें|

11. ओवर डायमेंशनल कार्गो में वैलिडिटी पीरियड 20 किलोमीटर प्रति दिन है जबकि अन्य में 100 किलोमीटर प्रति दिन है। प्रति दिन को 24 घंटे के रूप में लिया जाता है। भले ही ई-वे बिल कभी भी जेनरेट की जाये, पहले दिन की समाप्ति अगले दिन की मध्य रात्रि यानी रात 12 बजे होगी। 

12. वैलिडिटी पीरियड को असामान्य परिस्थितियों में ही बढ़ाया जा सकता है। अगर वैलिडिटी पीरियड के बाद भी ट्रांसपोर्टर के गोदाम में माल पड़ा रह जाता है तो अफसर उसे जब्त करके पेनाल्टी वसूल सकता है। वर्तमान में नियम के बदले न जाने तक यही नियम प्रभावी है। 

13. बिल टू शिप टू वाले मामले में प्लेस ऑफ डिस्पैच लिखना होगा। इसके अलावा बिलिंग पार्टी तथा माल बेचने वाले, दोनों को ही बिल, ई-वे बिल जेनरेट करना होगा और उसे माल के साथ भेजना होगा।

14. अगर रास्ते में गाड़ी के माल की एक बार जांच हो जाती है तो दोबारा चेकिंग तभी होगी जब अन्य अफसर के पास पुख्ता जानकारी और ऑथोराइजेशन हो।